है कण कण मे जहाँ राम बसे वहाँ प्रश्न राम पर उठता है
अपने ही घर पर राम लला को तिरपाल मे रहना पड़ता है
अल्लामा इकबाल ने जिनको पैगम्बर बतलाया है
पर अपनो ने ही उनके होने पर प्रश्न उठाया है
प्रभु राम को चौदह वर्षों तक का ही वनवास मिला
कलयुग मे जाने क्यो उनको वर्षों से सन्त्रास मिला
सुन अरज मेरी अब राम तुम्ही धरती पर ही आ जाओ ना
अपने घर का निर्माण स्वयं आकरके ही करबाओ ना
भूल ना जाना नब्बे वाली लाखो की कुर्बानी को
हर गोली के आगे उठती जय श्री राम की वाणी को
एक तरफ बन्दूक तनी थी दूजे हाथ मंजीरे थे
राम नाम की ताकत से ही हाथ से पत्थर तोड़े थे
बाबर तुग़लक़ को बिसराओ हम इसी राम के वंशज है
हिन्द का वासी जन जन ही उस राम नाम का अंशज है
तोड़ विघ्न आवर्तो को हम भगवा ही फहरायेंगे
सौगन्ध राम की खाते है हम मन्दिर भव्य बनायेगे