ब्यूरो
भोपाल।अलीराजपुर और झाबुआ जिला अस्पताल में नाबालिग नवजात शिशुओं की तस्करी के आरोप के तहत हॉस्पिटल के डॉक्टरों समेत कई लोगो को गिरफ्तार कर पुलीस ने जेल भेजा था उन पर आरोप था अवैध संबंधों से हुए नवजात बच्चों को निसंतान दमाप्तीयो को बेचने का बच्चों को उनकी गोद ली गई माँ से छुड़ा कर उनके पतियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज कर उन्हें बाल कल्याण समिति को सौंपा था वे विगत 14 माह से अपनी गोद ली गई माँ से बिछड़ गए थे जिन्होंने उन्हें जन्म के बाद से ही पाला था बच्चों की उम्र 3 से 8 साल।के बीच थी ऐसे लगभग 14 बच्चे इंदौर के जीवन ज्योति आश्रम में भेज दिए गए थे उनसे मिलने तक।नही दिया जाता था उसी के खिलाफ याचिकाकर्ता श्रीमती ज्योति शर्मा,श्रीमती शारदा, श्रीमती जायबला के द्वारा एडवोकेट मनीष यादव के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी कस्टडी प्राप्त करने की मांग की थी एडवोकेट यादव ने तर्क रखे याचिकाकर्ता के द्वारा गोद।लेने हेतु तय प्रक्रिया का पालन नही किया लेकिन उनका उद्देश उन बच्चों को अपनाने का ही था वर्ना तो उसकी जैविक माता पिता ने उसे त्याग।ही दिया है ऐसी अवैध संबंधों से उत्पन्न संतान को माता पिता का सुख मील रहा था इससे बढ़ कर क्या है जबकि इस तरह के बच्चों को जन्मपूर्व या पश्यात मार दिया जाता है उससे बेहतर ही है और महिला बाल।विकास समिति ने भी पाया है कि बच्चा उस गोद।ली गई माँ से कितना घुल मिल।गया होकर उसे ही।अपनी माँ मान रहा है और छोड़ना नही चाहता इन तर्कों से सहमत होकर माननीय न्यायमूर्ति विवेक रूसिया बेंच ने याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार करते हुए शासन को आदेशित किया कि बच्चों को याचिकाकर्ता के आवेदन विधिक प्रकिया के तहत उन्हें दत्तक बनाया जाए और आवेदन लंबित रहने तक बच्चे के लगाव।को देखते हुए याचिकाकर्ता को तत्काल सौपा जाए