भोपाल।मध्यप्रदेश सरकार ने कर्मचारी आयोग का गठन किया। जिसकी कमान सेवानिवृत्त अफसर अजयनाथ को सौंपी है।कर्मचारी आयोग कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों, सेवा शर्तों के साथ कार्यप्रणाली में सुधार की सिफारिशें भी करेगा।
।कमलनाथ सरकार ने कर्मचारियों से जुड़े बड़े वचन पत्र को पूरा करते हुए कर्मचारी आयोग का गठन कर दिया। यह 15 लाख से ज्यादा नियमित, संविदा, अंशकालिक, कार्यभारित, संविदा, निकायों के कर्मचारियों के अलावा पेंशनर्स से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करके सिफारिश सरकार को सौंपेगा। आयोग की कमान सेवानिवृत्त अपर मुख्य सचिव अजयनाथ को सौंपी गई है। आयोग शासन की कार्यप्रणाली को बेहतर और परिणाममूलक बनाने के साथ ही सेवा शर्तों के मौजूदा ढांचे को समय के अनुरूप बनाने की अनुशंसा भी करेगा।
सूत्रों के मुताबिक बजट में वित्तमंत्री तरुण भनोत की आयोग बनाने की घोषणा को पूरा करते हुए विभाग ने सोमवार देर शाम कर्मचारी आयोग का गठन करते हुए राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशन के लिए भेज दी। आयोग का दायरा पहले के आयोगों की तुलना में बढ़ाया गया है। यह सिर्फ सातवें वेतनमान की विसंगतियों के निराकरण तक सीमित नहीं रहेगा।
इसके दायरे में राज्य की सिविल सेवाओं को प्राप्त हो रहे क्रमोन्न्त, समयमान वेतनमान से जुड़े नियम, निर्देशों का अध्ययन करके सुझाव देना भी रहेगा। पेंशनर्स को दी जा रही सुविधाओं के साथ उनकी समस्याओं को दूर करने के अलावा संस्थाओं को आधुनिक तथा व्यवसायिक संस्थाओं के रूप में परिवर्तन के उपाय भी आयोग तलाशेगा।
वित्त विभाग के मुताबिक आयोग सिफारिश करते समय अन्य प्रदेश व केंद्र सरकार के बराबरी के संवर्गों के पदनाम/वेतनामान, प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय, राज्य की आर्थिक स्थिति, लोक वित्त के प्रबंधन, राज्य के वित्तीय संसाधनों पर उसके आर्थिक विकास की आवश्यकताओं के मद्देनजर मांग को ध्यान में रखेगा।
आयोग को यह अधिकार दिया गया है कि वो स्वयं तय करेगा कि उसे किस तरह से काम करना है। जिस विभाग से चाहें वो जानकारी, दस्तावेज, स्टाफ सहित अन्य सहायता प्राप्त कर सकेगा। आयोग को एक साल के भीतर सिफारिश देनी होगी। इस बीच उसे अंतरिम प्रतिवेदन भी देना होगा।